
अंतर्मन को लिखना इतना सरल कहां होता है, स्वयं से ही जंग करनी पड़ती है स्वयं के भाव समझने के लिए..।।📝
Antarman ko likhna itna saral kaha hota hai, swayam se hi jang karni padti hai swyam ke bhaw ko samjhne ke liye...

सब्र आने की देर होती है बस फिर क्या ख़ास, क्या ख़ाक ! सब दिल से उतर जाता है.!🍂
Sabr aane ki der hoti hai bas fir kya khas, kya khak! Sab Dil se utar jata hai.
Selected Motivational Quotes in Hindi

मेरी कमियों पर मुझे, कोई परदा चाहिए ही नही, मैं उस रब के अलावा, किसी भी राय की परवाह नहीं करती..!🙅♀
Meri kamiyo par mujhe koi parda chahiye hi nahi... Mein us rab ke alawa kisi bhi raay ki parwaah nahin karti.

खुदका साथ दो,
तुमसे अच्छा तुम्हारा कोई साथी नहीं. 🌟
Khud ka sath do,
Tumse achha tumhara koi sathi nahi
परवाह ना कर तमाशे होते रहेगे ताउम्र,
तू ये ख़्याल रख कि किरदार बेदाग़ रहे !💐
Parwaah na kar tamashe hote rahenge taaumar... Tu ye khayaal rakh ki kirdar bedaag rahe...!
सबसे ताकतवर वो "औरतें" हैं जो गुमशुदा "औरतें" हैं जो किसी का घर बनाने में खुद मकान हो गयी हैं..!!💫
Sabse takatwar wo aurten hai jo gumshuda aurten hai...
Jo kisi ka Ghar banane me khud makaan ho gayi hai...!
अचानक से एक दिन तुम्हारी बारी आएगी और तुम्हें वो सब मिलेगा जिसके तुम हकदार हो।✨
Achanak se ek din tumhari baari aayegi, aur tumhe wo sab milega jiske tum hakdaar ho..
इंसान को कोई चीज इतना नहीं बदल सकती जितना, उसके दिल पर गुजरी हुई तकलीफ उसे बदल देती है..!!🌿
Insaan ko koi cheej itna nahi badal sakti jitna uske dil par gujri hui takleef use badal deti hai...!
आधे चांद को देखकर एहसास होता है
हर खुबसूरत ख्वाहिश ज़रूरी नहीं पूरा ही हो ।।
Aadhe Chand ko dekhkar ahsaas hota hai... Har khoobsurat khwaish jaruri nahi puri ho...
जिंदा जा नहीं सकता और मरा हुआ बता नहीं सकता, तो फिर स्वर्ग-नर्क की खोज किसने की...
Zinda Jaa nahi sakta or mara hua bta nahi sakta, to fir swarg nark ki khoj kisne ki...
सुनी हुई बात पर भरोसा सोच समझ कर करना चाहिए, क्योंकि कोई भी "व्यक्ति" आपको "कहानी" का वो "भाग" कभी नहीं सुनाएगा, जहाँ वह स्वयं "गलत" था।
Suni Hui baat par bharosa soch samjh kar karna chahiye , kyoki koi bhi vyakti aapko kahani ka wo bhag kabhi nahi sunaayega, jahan wah swayam galat tha...
जैसे निःस्वार्थ भाव से स्वयं झुक जाता है माथा धार्मिक स्थलों के सामने... प्रेम में आत्मसमर्पण कुछ इसी प्रकार होता...
Jaise niswarth bhaw se swayam jhuk jaata hai matha dharmik sthalo ke saamne ... Prem me atmsamarpan kuch isi prakar hota hai ..
रोज़ करता हूं थक थक कर मरम्मत अपनी,
रोज़ एक नुक्स नया मुझ में निकल आता है।
Roj karta hun thak thak kar marammat apni... Roj ek nuks Naya mujh me nikal aata hai...
पूरी किताब तो नहीं
पर खुश हूं कि जिंदगी के कुछ पन्ने
तुम्हारे नाम के भी हैं....!
Poori kitab to nahi
Par khush hun ki zindgi ke kuch panne
Tumhare naam ke bhi hai.
जीत कर, कर भी क्या लेंगे
जब दांव में उस शक्स को ही गवा बैठेंगे।
Jeet kar, kar bhi kya lege
Jab daaw me us shaksh ko hi gawa baithenge...
मुस्कुरा रहे हो अगर, तो अच्छा है,
मुस्कुराना पढ़ रहा है, तो मसला है।
Muskura rahe ho agar to achha hai
Muskurana pad raha hai to masla hai
कैसे कह दूँ? थक गया हूँ मैं
ना जाने किस-किस का हौंसला हूं मैं ! !
Kaise kah du thak gya hun mein
Naa jane kis kis ka hausla hun mein.
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं तुम अपने आप को खुद ही बदल सको तो चलो...
Safar me dhup to hogi jo chal sako to chalo, sabhi hai bheed me tum bhi nikal sako to chalo, kisi ke waste rahen Kahan badalati hai tum apne aap ko khud hi badal sako to chalo...
खुद को इतना भी मत बचाया कर, बारिश हो तो भीग जाया कर,
चांद लाकर कोई नहीं देगा, अपने चेहरे से खुद जगमगाया कर
दर्द हीरा है, दर्द मोती है...
दर्द आंखों से मत बहाया कर
काम ले कुछ, हसीन होंठों से
बातों बातों में मुस्कुराया कर,
धूप मायूस लौट जाती है,
छत पर किसी बहाने आया कर
कौन कहता है दिल मिलाने को, कम से कम हाथ तो मिलाया कर।
Khud Ko itna bhi mat bachaya kar barish ho to bheeg Jaya kar Chand lakar koi nahin dega Apne chehre se jagmagaya kar Dard Hira hai Dard Moti hai Dard aankhon se mat bahaya kar kam le kuchh hasin hothon se baton baton mein muskuraya kar dhup mayus Laut jaati hai chhat per kisi bahane aaya kar Kaun kahta hai Dil milane Ko kam se kam hath to milaya kar.
एक घंटा
एक दिन से भी छोटा होता है एक घंटा। लेकिन कई बार वह ची बड़ा महसूस होता है। खासकर उस वक्त जब हम किसी की राह देखते हों। ऐसे समय में लगता है मानो समय थम सा गया है। तब एक घंटा कई बार एक दिन क्या, एक महीने से भी बड़ा लगता है। जिस इन्सान की हम राह देख रहे हों वह जितना ज्यादा प्रिय होगा उतना ही इंतजार का समय बड़ा लगता है।
एक मिनट
घंटे जितना ही महत्वपूर्ण होता है उसका ६०वां हिस्सा, यानि कि एक मिनट जो अपने होने से (और कई बार न होने से) स्थितियों में आमूलचूल बदलाव ला सकता है। समझो किसी की ट्रेन एक मिनट से चूक गई हो तो वो क्या कहेगा? वह कहेगा, मैं अगर एक मिनट जल्दी आया होता तो अपने मुकाम पर पहुँच गया होता। ऐसी स्थिति में वही बता सकता है कि एक मिनट कितना महत्वपूर्ण होता है।
अगली ट्रेन के लिए उसे शायद एक घंटा या फिर एक दिन की राह देखनी पड़े, और अगर उसे उस ट्रेन से कहीं पहुँचकर कोई महत्वपूर्ण काम करना है तो उस एक मिनट की देरी की वजह से वह काम हमेशा के लिए रह जाएगा। संभवतः यह पढ़कर हम समय के उपयोग के प्रति ज्यादा सजग हो जाएँगे। लेकिन समय की कीमत यहीं तक सीमित नहीं है।